आज मुद्दत बाद महफिल में शिरकत किया है कोई,
कि इस नाचीज पे रेहमत किया है कोई।
आज इतना खूबसूरत क्यों लगता है ताज,
रात भर जागकर मेहनत किया है कोई।
उनका खिला सा बदन कितना रुमानी है अभी,
कितनी शिद्दत से हिफाजत किया है कोई।
कितने अजीज ख्वाब देखे थे जिन्दगी के हमने,
मुझसे जुदा करके उनको रुखसत किया है कोई।
दर-दर पर पूँछा होगा मुझ बदनसीब का हाल,
मैं अब न आऊंगा ऐसी नेमत दिया है कोई।
तुम खुश रहो, रहो आबाद तुम 'अयुज',
हर दर पर सजदे में जियारत किया है कोई।
कि इस नाचीज पे रेहमत किया है कोई।
आज इतना खूबसूरत क्यों लगता है ताज,
रात भर जागकर मेहनत किया है कोई।
उनका खिला सा बदन कितना रुमानी है अभी,
कितनी शिद्दत से हिफाजत किया है कोई।
कितने अजीज ख्वाब देखे थे जिन्दगी के हमने,
मुझसे जुदा करके उनको रुखसत किया है कोई।
दर-दर पर पूँछा होगा मुझ बदनसीब का हाल,
मैं अब न आऊंगा ऐसी नेमत दिया है कोई।
तुम खुश रहो, रहो आबाद तुम 'अयुज',
हर दर पर सजदे में जियारत किया है कोई।
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