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गुरुवार, 21 जनवरी 2016

कोई तो है /अमरेश गौतम

सोई हुई रातों में, धड़कनें बढ़ाती है, 
कोई तो है जो दिल को लुभाती है।

उस बात की आज भी, देखिए खुमारी है, 
मुस्कुराकर जब कहा था,जान भी तुम्हारी है।
यादों में रह-रह कर,आती औ जाती है, 
कोई तो है........... 

नटखट उन अदाओं पर, गीत क्या लिखेंगे अब, 
वर्षों की दरमियाँ और विरह क्या लिखेंगे अब।
वक्त की मार हर शख्स को रूलाती है, 
कोई तो है........... 

               
             

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