मुलाकातों का सिलसिला, टूट गया देखो,
आज मुझसे कोई, रूठ गया देखो।
अब नहीं मिलते रास्ते, रास्तों से,
दामन किसी का हाँथों से,छूट गया देखो।
अपनी हालत पर अश्क बहायें भी तो कैसे,
मिरे अश्कों को भी जालिम लूट गया देखो।
परेशान हूँ सोचकर,सारी रंजिशों को,
बेवक्त ये नसीबा, फूट गया देखो।
जब मिला था खुशी का, अंदाजा न था,
बिछड़कर कैसे मैं, टूट गया देखो।
वो नज़रों की शोखी, वो कमसिन हँसी,
वो बातों का सरगम भी,छूट गया देखो।
कितना चाहा उसे,कितना पूजा'अयुज'
इक गलती को कैसे वो, घूट गया देखो।
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