जिन्दगी आसान हो जाती,
कुछ कदम साथ चलते तो।
मजबूरियाँ थीं या कुछ और,
करीब आकर प्यार से कहते तो।
जज्बा तो मुझमे भी था और भी,
एक बार हम पर भरोसा रखते तो।
ये कैसा रुख हो गया ज़माने का,
काश इंसान इंसानियत में ढ़लते तो।
हर कोई एक-दूसरे की टाँग खींचता है,
मुसीबत के पल कभी साथ पलते तो।
कुछ कदम साथ चलते तो।
मजबूरियाँ थीं या कुछ और,
करीब आकर प्यार से कहते तो।
जज्बा तो मुझमे भी था और भी,
एक बार हम पर भरोसा रखते तो।
ये कैसा रुख हो गया ज़माने का,
काश इंसान इंसानियत में ढ़लते तो।
हर कोई एक-दूसरे की टाँग खींचता है,
मुसीबत के पल कभी साथ पलते तो।
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