भूल सभी बीती बातों को,मिलजुलकर जीन्दगी बिताये।
नये साल का जश्न मनाएँ।
विगत वर्ष जैसे भी बीता, भले गया हो रीता-रीता।
विपदाओं ने भले झिंझोड़ा, आशाओं ने मुंह न मोड़ा।
हर आरंभ का अन्त है निश्चित,मन में फिर क्यों प्रश्न हैं किंचित।
लगे रहे नित नये सृजन में,लीन रहा मन प्रभू भजन में।
पाना खोना अटल सत्य है, हम क्यों इससे नित घबरायें।
नये साल का जश्न मनायें।
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