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मंगलवार, 3 जनवरी 2017

इरादा अब भी है

इरादा है अभी भी, उनके दीदार का, 
इरादा अब भी है, उनसे प्यार का।

वो मिलेंगे तो पूँछूगा, भुला दिया कैसे मुझको, 
जो एक पल नहीं रहता था, बिना देखे मुझको।
ये वक्त बड़ा काफिर है, इसका भरोसा क्या, 
कब दूर कर दे, कब मिला देश, भरोसा क्या।

इसको नहीं फिकर, किसी भी बाहर का, 
इरादा अब भी है.......... 

बड़े खुश्नुमाँ थे, वो पल, वो दिन, वो रातें, 
जब दिल ने चाहा, हो जाती थीं मुलाकातें।
कहकसाओं के हुजूम में, हसीन थीं रातें, 
उसी आलम में हुआ करती थीं बातें।

इंतजार नहीं रहता, अब उनके इंतजार का, 
इरादा अब भी है........ 

उनके रूखसार का तिल, खुद उन्हें चिढ़ाएगा, 
जब भी वो जालिम, आइना करीब लाएगा।
वो तिल नहीं, प्यार की निशानी है, 
उनको मालूम है, ये किसी की मेहरवानी है।

निशान ये सलामत रहे, मेरे राज़दार का, 
इशारा अब भी है........

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