न डर दुश्मनों से जमाने से न डर,
डर दुराचार से बुराई से डर।
नेकी ही तेरी बदी को भगायेगी,
बचायेगी तुझे कोई मुश्किल जो आयेगी।
कर सबकी मदद मिल तहेदिल से सबसे,
यही वो दौलत है जो साथ तेरे जायेगी।
डर तो किसी अपने की रुसवाई से डर,
न डर दुश्मनों से न..............
भूखे किसी असहाय का मददगार बन,
दिल न दुखा किसी का न गुनहगार बन।
वरना न जहन्नुम में भी पनाह मिलेगी,
मिल के रह सभी से न कभी गुसार बन।
सच्चे प्यार में पागल किसी फिदाई से डर,
न डर दुश्मनों से न..........
क्यों ये बड़ा राज़ है आज के लिए,
भ्रष्टाचार अभिशाप है समाज के लिए।
मिल के सभी ठान लो मिटाना है इसे,
घातक है ये हर सुराज के लिए।
कमजोर दीन-हीन की बद्दुआई से डर,
न डर जमाने से न...............
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें