एक दर्द,
अपनों से उपेक्षा का
सही मंजिल न मिलने का,
एक दर्द,
शोषित वर्ग की नाकारी
औ उन यायावर सी जिन्दगी
बसर करने वालों का
एक दर्द
एक बूँद पानी को तरसते
लोगों की वेदना का
दो जून की रोटी के लिए
ठोकरें खाते,जुर्म सहते
मेरे अपनों का
एक दर्द
नारियों के उत्पीड़न का
किसी मुजरिम की आजादी का
अपने पौरूष की नाकामी का
मैं मानवता कितनें दर्द सहूँ।
एक दर्द.....
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