सुना है फिर से नटका वो,
नौटंकी लेकर आया है।
दिलवाला होने का उसने,
फिर से स्वाँग रचाया है।
जिसने समय-समय पर देखो,
देश विरोधी गान किया।
दो कौड़ी की बातों से जिसने,
भारत माँ का अपमान किया।
हमसे ही सर आँखों में पर बैठा,
भूतल में हमीं मिलाएँगे।
ऐसे ढ़ोंगी के चलचित्रों को,
हम नहीं देखने जाएँगे।
नौटंकी लेकर आया है।
दिलवाला होने का उसने,
फिर से स्वाँग रचाया है।
जिसने समय-समय पर देखो,
देश विरोधी गान किया।
दो कौड़ी की बातों से जिसने,
भारत माँ का अपमान किया।
हमसे ही सर आँखों में पर बैठा,
भूतल में हमीं मिलाएँगे।
ऐसे ढ़ोंगी के चलचित्रों को,
हम नहीं देखने जाएँगे।
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