तुम बेवफा नहीं हो एक बार तो कह दो,
मुझसे ख़फा नहीं हो एक बार तो कह दो।
तड़पा मैं एक उम्र जिस ग़म से इस कदर,
उसकी दवा नहीं हो एक बार तो कह दो।
पाया हूँ जबकि राह भटक कर जहाँन में,
तुम फ़लसफा़ नहीं हो एक बार तो कह दो।
मतलब के आड़ में कभी उजड़े जो आशियाँ,
तुम ग़मज़दा नहीं हो एक बार तो कह दो।
हर शख्स सियासी है सियासत के दौर में,
सबसे जुदा नहीं हो एक बार तो कह दो।
मुझसे ख़फा नहीं हो एक बार तो कह दो।
तड़पा मैं एक उम्र जिस ग़म से इस कदर,
उसकी दवा नहीं हो एक बार तो कह दो।
पाया हूँ जबकि राह भटक कर जहाँन में,
तुम फ़लसफा़ नहीं हो एक बार तो कह दो।
मतलब के आड़ में कभी उजड़े जो आशियाँ,
तुम ग़मज़दा नहीं हो एक बार तो कह दो।
हर शख्स सियासी है सियासत के दौर में,
सबसे जुदा नहीं हो एक बार तो कह दो।
रेखा चित्र-अनुप्रिया दीदी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें