कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

एक बार तो कह दो

तुम बेवफा नहीं हो एक बार तो कह दो, 
मुझसे ख़फा नहीं हो एक बार तो कह दो।

तड़पा मैं एक उम्र जिस ग़म से इस कदर, 
उसकी दवा नहीं हो एक बार तो कह दो।

पाया हूँ जबकि राह भटक कर जहाँन में, 
तुम फ़लसफा़ नहीं हो एक बार तो कह दो।

मतलब के आड़ में कभी उजड़े जो आशियाँ, 
तुम ग़मज़दा नहीं हो एक बार तो कह दो।

हर शख्स सियासी है सियासत के दौर में, 
सबसे जुदा नहीं हो एक बार तो कह दो।
रेखा चित्र-अनुप्रिया दीदी

कोई टिप्पणी नहीं: