कुल पेज दृश्य

शनिवार, 5 मार्च 2016

भक्ति



मैंने देखा था उस आदमी को 
कुछ नहीं करता था वो 
बस सुबह से ही घर से 
यूँ ही निकल जाता कहीं। 

सब कहते निकम्मा है 
किसी काम का नहीं 
किन्तु उसका घर कौन चलाता है 
वही ना। 

मैंने देखा था एक दिन 
जब सिपाही उसे पकड़कर 
थाने ले जा  रहे थे 
मुझे ही नहीं सबको पता चला 
वो कोई असामाजिक काम करता है। 

नहीं है उसकी हैसियत
 कि वो अच्छाई की आड़ में 
कोई बुरा काम करे
तो 
वो खुलेआम बुरा काम करता है। 

किन्तु पता चला 
वो भी पक्का भक्त था 
उसके जेब में सुन्दर सी 
भगवान की तस्वीर मिली 
जिससे रोज़ सलामती की कामना 
वो भी करता था।

कोई टिप्पणी नहीं: