आ चल लहरों संग नाचेंगे।
इक दूजे संग कैसा तालमेल,
अपनों से ऐसा मधुर मेल।
हर पल खुशियों का जश्न किए,
ज्यों खुशियों का हो अमरबेल।
दो पल उनसे भी घुलमिल कर,
अपनी हस्ती भी जाँचेंगे।
आ चल लहरों संग नाँचेंगे।
क्या दुख के भँवरजाल से,
किनारे तक पहुँचेंगे।
या दुश्मन के चक्रव्यूह में,
जीवन से नाता तोड़ेंगे।
गतिमान पर गति करके,
तकदीर की लिक्खी वाँचेंगे।
आ चल लहरों ..............
इक दूजे संग कैसा तालमेल,
अपनों से ऐसा मधुर मेल।
हर पल खुशियों का जश्न किए,
ज्यों खुशियों का हो अमरबेल।
दो पल उनसे भी घुलमिल कर,
अपनी हस्ती भी जाँचेंगे।
आ चल लहरों संग नाँचेंगे।
क्या दुख के भँवरजाल से,
किनारे तक पहुँचेंगे।
या दुश्मन के चक्रव्यूह में,
जीवन से नाता तोड़ेंगे।
गतिमान पर गति करके,
तकदीर की लिक्खी वाँचेंगे।
आ चल लहरों ..............
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