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रविवार, 10 जनवरी 2016

बेटियाँ

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान से प्रेरित मेरी कविता के कुछ अंश--


बेटियाँ कच्चे बाँस की तरह, 
पनपती आधार हैं।
बेटियाँ ही अनवरत, 
प्रकृति की सृजनहार हैं।

किसी भी संदेह में ना, 
उन्हें मारा जाय।
उनको भी स्नेह की, 
छाँव में दुलारा जाय।

इनसे ही श्रृगार धरा का, 
इनसे ही भूमि पावन।
जगत जननी अयुज बेटियाँ, 
इन्हें करें सौ बार नमन।

समानता को संकल्प बना, 
आगे इनको बढ़ाया जाय।
भूल रूढ़ियाँ सभी चलो, 
हर बेटी को पढ़ाया जाय।

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