भ्रमर गीत
मेरी परिकल्पनाओं की परिधि
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शुक्रवार, 1 जनवरी 2016
एक साल गया
दिन बीता ढ़ली गई निशा
हर पल का अनुमान गया,
सुख-दुख औ उलझनों में ही
एक बरस बेईमान गया।
कैसे लिखूँ उम्मीदों की
मखमली कहानी मैं,
कैसे लिखूँ सपनों की
झीलों सी रवानी मैं।
हर बार की तरहा ही
ये अरसा भी अनजान गया।
सुख-दुख औ..................
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