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आज वो मुझसे इतना खफा क्यों है,
है नफरत तो आँखों में बफा क्यों है।
अब तो उनके कूँचे में आना-जाना भी नहीं,
दिल में फिर भी मोहब्बत जवाँ क्यों है।
इक अरसा हुआ हालात को बदले हुए,
मसर्रत वही दिल में फिर भी बता क्यों है।
जुदाई का बहाना कोई शरारत तो नहीं ,
कुर्बत की पहले सी अब भी अदा क्यों है।
कलम भी आज साथ देती नहीं 'अयुज'
बुझी-बुझी आज अनमन सी क़ता क्यों है।
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आज वो मुझसे इतना खफा क्यों है,
है नफरत तो आँखों में बफा क्यों है।
अब तो उनके कूँचे में आना-जाना भी नहीं,
दिल में फिर भी मोहब्बत जवाँ क्यों है।
इक अरसा हुआ हालात को बदले हुए,
मसर्रत वही दिल में फिर भी बता क्यों है।
जुदाई का बहाना कोई शरारत तो नहीं ,
कुर्बत की पहले सी अब भी अदा क्यों है।
कलम भी आज साथ देती नहीं 'अयुज'
बुझी-बुझी आज अनमन सी क़ता क्यों है।
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